कोरोना इफेक्ट / लॉकडाउन के दौरान अपने-अपने घरों में बंद हैं बिहार के नेता, कोई आत्मकथा लिख रहा है कोई खेती किसानी कर रहा है



पटना. कोरोना के संक्रमण को रोकने को ले पहले जनता कर्फ्यू फिर एक दिन बाद संपूर्ण देश में लॉकडाउन... इससे पॉलिटिक्स भी अछूती नहीं है। वहां भी कंप्लीट लॉकडाउन है। नेतागण होम क्वारेंटाइन में हैं। इस एकांतवास में कोई फोन के जरिए ही जनसेवा में लगा है तो कुछ ने किताबों से छूटी दोस्ती फिर गांठ ली है। 


सदानंद आत्मकथा लिख रहे
कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता सदानंद सिंह अपने पटना स्थित आवास पर ही हैं। लोगों से मिलना जुलना बंद है। सुबह से शाम तक का रूटीन फिक्स है। कहते हैं, दिन की शुरुआत अखबारों के साथ होती है।थोड़ा वक्त टीवी के साथ बितता है। उसके बाद वे अपने क्षेत्र के लोगों से उनका हाल चाल लेते हैं और सब को घर में लाने की ताकीद करते हैं। इन दिनों इन दिनों वे काफी समय से लंबित अपनी आत्मकथा पर काम कर रहे हैं। जिसमें उनके सहयोगी मधुकांत ही मदद कर रहे हैं।



मांझी खेती-किसानी कर रहे हैं
पूर्व सीएम जीतन राम मांझी पिछले 14 मार्च से अपने पैतृक गांव महकार में है। कहते हैं मैं ने सार्वजनिक जीवन में आने के बाद ऐसी स्थिति नहीं देखी। यह पहली बार है जब पूरे एक महीने मैं अपने गांव में रहूंगा। जो सरकार का निर्णय है उसका पालन करना हमारी और सबकी जिम्मेवारी है। फिलहाल वे खेती किसानी कर रहे हैं। बहुत सीमित लोगों से मिलना-जुलना हो रहा है। लोगों से भी यही अपील कर है कि वे खुद को अपने घरों में रखें। यह समय निकल जाएगा।


500 से अधिक फोन अटेंड कर रहे जगदानंद


राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद इन दिनों औसतन 500 से अधिक फोन एटेंड कर संकट में फंसे बिहारवासियों की मदद करने की कोशिश कर रहे हैं। दूसरे राज्यों में फंसे और किसी तरह राज्य के बोर्डर पर आ चुके बिहारियों को राजद कार्यकर्ताओं के जरिए मदद पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। पटना स्थित घर पर ही वह यह जिम्मेदारी निभा रहे हैं।


खाना बनाने, किताब पढ़ने में समय बिता रहे उपेंद्र 


उपेन्द्र कुशवाहा, वैशाली महनार के अपने गांव जावज में हैं। सुबह खुद चाय बनाते हैं। मां के साथ चाय पीते हैं। फिर घर की सफाई करते हैं। गाय को सानी-पानी के बाद खुद दाना-पानी के इंतजाम में जुट जाते हैं। फुर्सत में किताब पढ़ रहे हैं। अभी संसद में चंद्रशेखर का अध्ययन चल रहा है।



मदन मोहन झा घर में कैद
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा कहते हैं सार्वजनिक जीवन में यह पहली बार है जब 21 मार्च के बाद घर से नहीं निकले हैं। फिलहाल खुद को अपने पटना स्थित आवास में कैद कर लिया है। लोगों से मिलना जुलना एकदम बंद है। संपर्क का एकमात्र जरिया मोबाइल है। चुनावी साल होने के कारण मोबाइल पर व्यस्तता ज्यादा है। मोबाइल के जरिए क्षेत्र और बिहार के लोगों से संपर्क जारी है। सभी सगे-संबंधी, शुभचिंतक और पार्टी के लोगों को सरकार के निर्देशों का पूरी तरह से पालने करने को कह रहे हैं। समय बहुत कठिन है। पूरे देश में आज जो स्थिति है, उसमें हम सबको लॉकडाउन का पालन करना चाहिए।


किताब पढ़कर समय बिता रहे हैं विनोद नारायण


लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण मंत्री विनोद नारायण झा ने खुद को पटना स्थित आवास में सीमित कर रखा है। सुबह के साथी अखबार है। उसके बाद करीब दो घंटा शासन प्रशासन के लोगों के साथ-साथ अपने क्षेत्र के लोगों से हाल-चाल जानते हैं। बहुत दिनों से छूटी हुई किताब में पढ़ने का मौका मिला है जिसका भरपूर सदुपयोग कर रहे हैं कोशिश यही है कि कम से कम लोग मिलने जुलने हैं। स्टाफ के लोगों को छुट्टी दे चुके हैं।



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